नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जी-23 के नेताओं को कल (शनिवार) मिलने के लिए बुलाया है। सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में जी-23 के नेताओं के साथ-साथ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। बैठक में सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के भी शामिल होने की बात कही जा रही है। कांग्रेस के आंतरिक कलह को समझने से पहले उसकी पृष्ठभूमि को भी समझना होगा।
Congress tries to suppress dissent, Sonia will meet G-23 leaders
New Delhi. Congress President Sonia Gandhi has called the leaders of G-23 to meet tomorrow (Saturday). Sources say that along with G-23 leaders, many senior Congress leaders will also be present in this meeting. Apart from Sonia Gandhi, Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi are also said to be involved in the meeting. Before understanding the internal strife of the Congress, its background also has to be understood.
लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने और पार्टी के सिकुड़ते जनाधार को लेकर हाल ही में कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी नेतृत्व और उसकी कार्यशैली पर सवाल उठाया था।
माना जा रहा है कि जिस तरह 2019 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद अध्यक्ष पद से राहुल गांधी ने इस्तीफा दिया और उसके बाद जिस तरह से बैक डोर से राहुल गांधी पार्टी चला रहे हैं उससे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाराज हैं। इनमें से कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से भी बयान देकर पार्टी के अंदर चल रहे घमासान को पब्लिक डोमेन में ला दिया है।
सोनिया गांधी द्वारा ये बैठक बुलाए जाने का मतलब साफ है कि नेतृत्व ऐसे नेताओं को नजरअंदाज नही कर सकता।
जी-23 के नेता क्या चाहते हैं?
सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले ळ-23 नेताओं की पहली मांग है कि पार्टी का पूर्णकालिक अध्यक्ष होना चाहिए। कोई पीछे के दरवाजे से पार्टी को न चलाए। अगर राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व करना चाहते हैं तो उन्हें अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन अगर आने वाले दिनों में गांधी परिवार से बाहर से राहुल गांधी समर्थित कोई नेता अध्यक्ष पद के लिए सामने आता है, तो जी-23 के नेता भी चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे।
जी-23 के नेताओं की दूसरी मांग है कि कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव होना चाहिए। मनोनयन के जरिए पद न दिया जाए, ताकि आने वाले वक्त में नेताओं की जवाबदेही तय हो सके।
जी-23 के नेताओं की ये भी मांग है कि प्रादेशिक इकाइयों में भी पद संगठनात्मक चुनाव के जरिए दिया जाए।
बैठक में क्या होगी गांधी परिवार की चुनौती?
कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे गांधी परिवार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि संकट की इस घड़ी में नए और पुरानी पीढ़ी के नेताओं को कैसे एक साथ रखा जाए।
दरअसल समस्या ये है कि अहमद पटेल के निधन के बाद गांधी परिवार और पार्टी के दूसरे नेताओं के बीच समन्वय बनाने की कड़ी टूट गई है। ऐसे में नाराज चल रहे जी-23 के नेताओं को मनाने की जिम्मेदारी हाल ही में सोनिया गांधी ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को दी।
साथ ही अहमद पटेल के निधन के बाद हाल ही में हुई वर्किंग कमेटी की बैठक में प्रियंका गांधी ने ये बात बार बार दोहरायी कि अहमद पटेल को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि पार्टी एकजुट रहे।
बहरहाल कल की बैठक के बाद ये तय होगा कि आने वाले वक्त में कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के हाथ मे ही रहेगा या फिर अगले अध्यक्ष को लेकर पार्टी दो भागों में बंटती दिखेगी।